चट्टान - सुभशिव ,chattan notes in hindi चट्टान - सुभशिव ,chattan notes in hindi ,types of rocks in hindi language
चट्टान - सुभशिव ,chattan notes in hindi ,types of rocks in hindi language |
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चट्टान
नमस्कार दोस्तों आज हम आपके लिए लेकर आए हैं ज्योग्राफी का एक अति महत्वपूर्ण टॉपिक चट्टान ।
दोस्तों चट्टान ऐसा टॉपिक है जो, हर एग्जाम में पूछा जाता है चट्टान टॉपिक की उपयोगिता को देखते हुए ज्योग्राफी के विशेषज्ञों द्वारा तैयार किए गए यह नोट्स हम आज आपके लिए लेकर आए हैं
छात्रो की सुविधा के लिए हमने ये नोट्स संक्षिप्त तथा विस्तार दोनों स्वरूपों में अपलोड किये है
यह भी पढ़े - :-वैदिक सभ्यता
दोस्तों चट्टान ऐसा टॉपिक है जो, हर एग्जाम में पूछा जाता है चट्टान टॉपिक की उपयोगिता को देखते हुए ज्योग्राफी के विशेषज्ञों द्वारा तैयार किए गए यह नोट्स हम आज आपके लिए लेकर आए हैं
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विस्तार से
प्रस्तावना
चट्टान को इंग्लिश में क्या कहते हैं ?
● चट्टान को इंग्लिश में रॉक (Rock) कहते हैंचट्टान अर्थ :-
● पृथ्वी के बाहरी मंडल को क्रस्ट या पपड़ी मंडल कहा जाता है ,पपड़ी मंडल मुख्य रूप से ठोस अवस्था में पाया जाता है ।
● क्रस्ट मंडल का भाग स्थल को पर्दर्शित करता है अतः इसे स्थल मंडल कहते है और जल पलावित भाग जल मंडल कहलाता है ।
हीरा किस प्रकार की चट्टान का उदाहरण है ?
● हीरा अग्निमय प्रकार की चट्टान (किम्बर्लाइट) का उदाहरण हैं ।● पृथ्वी के क्षेत्रफल का 70.8% भाग जलमंडल तथा 29.2 प्रतिशत भाग स्थलमंडल के रूप में स्थित है।
● पृथ्वी की सतह की रचना शैल से हुई है तथा लिथास का अर्थ चट्टान होता है ।
चट्टान किसे कहते हैं ? / चट्टान किसे कहते हैं हिंदी में :-
● पृथ्वी की ऊपरी सतह की संरचना अनेक रासायनिक तत्व से खनिज के रूप में हुई है,चट्टान की संरचना एक या एक से अधिक खनिजों से हुई है ।● यह देखा गया है कि चट्टानों का करीब 98% भाग 8 से 10 तत्त्वों से निर्मित है शेष 2% भाग लगभग 90 तत्वों से बना है।
चट्टानों का अध्ययन क्या कहलाता है ?
● चट्टानों का अध्ययन करने वाले विज्ञान को Patrology कहते है।
● जैसा कि ऊपर बताया जा चुका है की चट्टान की रचना एक या एक से अधिक खनिजों का मिश्रण होता है।
● ऐसी बहुत कम चट्टाने है जो केवल एक ही खनिज द्वारा निर्मित हुई है।
● अतः हम कह सकते है कि चट्टाने मुख्य रूप से कुछ विशेष खनिजों से निर्मित हुई है।
● यद्यपि खनिजों की संख्या सैकड़ों में पााई जाती परंतु इनमें से 6 से 8 खनिजों का अंश चट्टानों में अधिक मात्रा में होता है।
● सामान्य शब्दों में कहें तो चट्टान खनिजो का मिश्रण होती है।
● आंतरिक आग्नेय चट्टान को दो वर्गों में बाँटा गया :-
1. पातलिय आग्नेय चट्टान -:
● इस प्रकार की चट्टानों का निर्माण धरातल से अधिक गहराई पर होता है।
● गहराई पर ठंडा होने की गति बहुत धीमी होती है इस कारण इनके रवे बड़े पाये जाते है।
● परतदार चट्टानों का निर्माण कई प्रकार के चट्टानों के चूर्ण तथा अवसादों से होता है तीन तरह के पदार्थो ( चट्टान चूणे,रायनिक घुलनशील पदार्थ तथा कार्बनिक पदार्थ ) के आधार पर चट्टानों को तीन वर्गो में विभाजित किया जाता है ।
चट्टानों का वर्गीकरण
संरचना व भौतिक रासायनिक गुण तथा खनिजों के सम्मिश्रण के आधार पर चट्टानों को मुख्य रूप से तीन वर्गों में बांटा गया है
(2) अवसादी या परतदार चट्टान ( Sedimentary Rocks)
(3) रूपांतरित चट्टान ( Metamorphic Rocks)
● सबसे पहले पृथ्वी की तरल अवस्था के ऊपरी भाग के मेग्मा के ठंडा होने के कारण आग्नेय चट्टानों का निर्माण हुआ जैसे - : ग्रेनाइट बेसाल्ट चट्टान
● सबसे पहले पृथ्वी की तरल अवस्था के ऊपरी भाग के मेग्मा के ठंडा होने के कारण आग्नेय चट्टानों का निर्माण हुआ जैसे - : ग्रेनाइट बेसाल्ट चट्टान
● धीरे धीरे अपक्षय एवं अपरदन के विभिन्न कारकों से आग्नेय चट्टानों का अपरदित पदार्थ नदियों आदि द्वारा बहाकर ले जाया गया और अन्यत्र समुद्री तलों जमा होता रहा परिणाम स्वरूप संरचना एवं संगठन के कारण परतदार चट्टानों का निर्माण हुआ । जैसे -: बलुआ पत्थर चुना पत्थर आदि।
● आगे चलकर अधिक दबाव तथा अधिक तापीय प्रभाव के कारण आग्नेय तथा परतदार चट्टानों के रूप में परिवर्तन के कारण तीसरी प्रकार की चट्टाने रूपांतरित या कायांतरित चट्टानों का निर्माण हुआ रूपांतरित चट्टानें जैसे संगमरमर , कार्टजाइट स्लेट आदि
● आग्नेय चट्टान की रचना तप्त एवं तरल मैग्मा के ठंडे होने से होती है ।
● पृथ्वी प्रारंभिक अवस्था में तरल रूप में थी और इस तरह मेग्मा के ठंडा होकर जमने से ठोस आग्नेय चट्टान का निर्माण हुआ।
● सबसे पहले इसी चट्टान का निर्माण हुआ इस लिये इसे प्राथमिक चट्टान भी कहते हैं।
● आग्नेय चट्टान का निर्माण पृथ्वी के भूगर्भिक इतिहास के हर काल मैं होता रहा है और आज भी होता रहा है।
● ज्वालामुखी से गर्म एवं तरल लव पृथ्वी के अंदर तथा बाहर फेल कर ठोस रूप में जमकर आग्नेय चट्टान का रूप लेता हैं।
आग्नेय चट्टान की विशेषताएं
● आग्नेय चट्टानें लावा के धीरे धीरे ठंडा होने से बनी है इस कारण यह रवेंदार तथा दानेदार होती है।
● इनके रवों की बनावट में पर्याप्त अंतर पाया जाता है। रवों के आकार तथा रूप में भी पर्याप्त अंतर पाया जाता है।
● रवों की बनावट मेग्मा के ठंडे होने की गति पर निर्भर करता है।
● जब मेग्मा ज्वालामुखी विस्फोट के कारण ऊपरी सतह पर ठंडा होता है तो, ठंडे होने की गति तीव्र होती है इस कारण चट्टान में रवें बहुत बारीक़ होते हैं (यह रवें इतने बारिक होते हैं कि इनको लेंस के बिना नहीं देखा जा सकता )
● परंतु सतह के नीचे मेग्मा के ठंडे होने की गति बहुत धीमी होती है इस कारण चट्टान के रवें या कण बड़े होते हैं। जैसे -: ग्रेनाइट चट्टान के रवे बड़े होते हैं ।
● आग्नेय चट्टानें बहुत कठोर होती हैं जिसके कारण वर्षा जल प्रवेश नहीं हो पाता है।
● आग्नेय चट्टानों में परते नहीं पाई जाती है।
● आग्नेय चट्टानों में रासायनिक अपक्षय की क्रिया कम होती है जो भी रासायनिक अपक्षय होता है वह संधियों के सहारे होता है।
● आग्नेय चट्टानें मेग्मा के ठंडा होने से बनी इस कारण इनमे जीवाश्म नहीं पाए जाते हैं।
● आग्नेय चट्टान में ऊपरी भाग में संधियां अधिक पाई जाती हैं,आग्नेय चट्टानों का निर्माण मेग्मा के ठंडे होने तथा ज्वालामुखी क्रिया से होता है अतः इनका विवरण स्वयं के क्षेत्र में पाया जाता है।
आग्नेय चट्टानों का वर्गीकरण
● आग्नेय चट्टानों को 3 तरह से विभाजित किया गया है
(I) आंतरिक आग्नेय चट्टान
(I) आंतरिक आग्नेय चट्टान
(अ) पातालिये आग्नेय चट्टान
(ब) मध्यवर्ती आग्नेय चट्टान
(II) बहिर्वेधी आग्नेय चट्टान
(अ) विस्फोटक प्रकार आग्नेय चट्टान
(ब) शांत प्रकार आग्नेय चट्टान
(2) रासायनिक संरचना के आधार पर
(I) अम्ल प्रधान आग्नेय चट्टान
(II) बेसिक आग्नेय चट्टान
(III) मध्यवर्ती आग्नेय चट्टान
(IV) अल्ट्रा बेसिक आग्नेय चट्टान
(III) मध्यवर्ती आग्नेय चट्टान
(IV) अल्ट्रा बेसिक आग्नेय चट्टान
(3) कणों के आधार पर
(I) बड़े कणों वाली आग्नेय चट्टान
(II) महीन कणों वाली आग्नेय चट्टान
(1) उत्पत्ति की प्रक्रिया के अनुसार
● जैसा की ऊपर बताया जा चूका है कि आग्नेय चट्टानों का निर्माण तरल मेग्मा के ठन्डे होने और जमने से होती है।
● ज्वालामुखी लावा दो रूप में जमता है -
1. धरातल के निचे
2. धरातल के ऊपर
● इस आधार पर आंतरिक तथा बाहिये निर्मित दो प्रकार की आग्नेय चट्टानें जानी जाती है।
(I) आंतरिक आग्नेय चट्टान -:
● ज्वालामुखी से निकला हुआ लावा धरातल के ऊपर न पहुँच कर धरातल के नीचे ही ठंडा होकर ठोस रूप धारण कर लेता है तो इससे आंतरिक आग्नेय चट्टान का निर्माण होता है।● आंतरिक आग्नेय चट्टान को दो वर्गों में बाँटा गया :-
1. पातलिय आग्नेय चट्टान -:
● इस प्रकार की चट्टानों का निर्माण धरातल से अधिक गहराई पर होता है।
● गहराई पर ठंडा होने की गति बहुत धीमी होती है इस कारण इनके रवे बड़े पाये जाते है।
जैसे - ग्रेनाईट चट्टान
2. मध्यवर्ती आग्नेय चट्टान -:
●इनका निर्माण धरातल की सतह से निचे होता है।
● गर्म तरल लावा ऊपर आने की कोशिश करता है परन्तु धरातल की चट्टानों के अवरोध के कारण लावा दरारों , छिद्रों, एवं नलियों में ही ठंडा होकर जम जाता है।
● इनकी स्थिति बाहिये तथा आंतरिक चट्टानों के बिच होती है।
2. मध्यवर्ती आग्नेय चट्टान -:
●इनका निर्माण धरातल की सतह से निचे होता है।
● गर्म तरल लावा ऊपर आने की कोशिश करता है परन्तु धरातल की चट्टानों के अवरोध के कारण लावा दरारों , छिद्रों, एवं नलियों में ही ठंडा होकर जम जाता है।
● इनकी स्थिति बाहिये तथा आंतरिक चट्टानों के बिच होती है।
जैसे -: बैथोलिथ , फ़ैकोलिथ , डाइक सिल आदि
● लावा के सतह पर प्रकट होने के प्रकार के अनुसार इस चट्टान को दो भागों में बाँटा जाता है -
(अ) विस्फोटक प्रकार आग्नेय चट्टान -:
● जब ज्वालामुखी से लावा बहुत तीव्र गति से निकलता है तो बहुत ऊंचाई तक जाता है तथा निचे गिर कर सतह पर बड़े तथा छोटे टुकड़ो में बंट जाता है ।
● बड़े टुकडो की चट्टान को बम्ब कहते है तथा छोटे टुकडो की चट्टान को लेपिली कहते है ।
(ब) शांत प्रकार आग्नेय चट्टान :-
● जब दरारों से मेग्मा धरातल पर शांत रूप में फेल जाता हैं तो, इस प्रकार की चट्टानों को शांत प्रकार आग्नेय चट्टान कहतें है।
● इस प्रकार के प्रवाह को लावा प्रवाह भी कहतें है।
● डेकन ट्रेप क्षेत्र मे इस प्रकार की अनेक चट्टानें मिलती है।
(II) बहिर्वेधी आग्नेय चट्टान- :
● जब तरल एवं तप्त लावा ज्वालामुखी से धरातल के उपर आकर जम जाता है और ठोस होकर चट्टान का रूप धारण कर लेता है तो इस प्रकार की चट्टान को बहिर्वेधी आग्नेय चट्टान कहतें है। इस प्रकार से निर्मित चट्टान को ज्वालामुखी चट्टान कहतें है । जैसे -: बेसाल्ट चट्टान● लावा के सतह पर प्रकट होने के प्रकार के अनुसार इस चट्टान को दो भागों में बाँटा जाता है -
(अ) विस्फोटक प्रकार आग्नेय चट्टान -:
● जब ज्वालामुखी से लावा बहुत तीव्र गति से निकलता है तो बहुत ऊंचाई तक जाता है तथा निचे गिर कर सतह पर बड़े तथा छोटे टुकड़ो में बंट जाता है ।
● बड़े टुकडो की चट्टान को बम्ब कहते है तथा छोटे टुकडो की चट्टान को लेपिली कहते है ।
(ब) शांत प्रकार आग्नेय चट्टान :-
● जब दरारों से मेग्मा धरातल पर शांत रूप में फेल जाता हैं तो, इस प्रकार की चट्टानों को शांत प्रकार आग्नेय चट्टान कहतें है।
● इस प्रकार के प्रवाह को लावा प्रवाह भी कहतें है।
● डेकन ट्रेप क्षेत्र मे इस प्रकार की अनेक चट्टानें मिलती है।
(2) रासायनिक संरचना के आधार पर
● आग्नेय चट्टानों का रासायनिक संगठन अलग - अलग होता है।
● सिलिका की मात्रा के आधार पर आग्नेय चट्टानों को चार भागो में विभाजित किया गया है:-
(I) अम्ल प्रधान आग्नेय चट्टान :- जब आग्नेय चट्टान में सिलिका की मात्रा 70 से 85 प्रतिशत होती है उसे अम्लीय चट्टान कहतें है , ग्रेनाईट इसका अच्छा उदाहारण है
(II) बेसिक आग्नेय चट्टान :-जब आग्नेय चट्टान में सिलिका की मात्रा 45से60 प्रतिशत होती है उसे बेसिक चट्टान कहतें है बेसाल्ट , गेब्रो तथा डोलोराइट इसका अच्छा उदाहरण है
(III) मध्यवर्ती आग्नेय चट्टान :- जब आग्नेय चट्टान में सिलिका की मात्रा अम्ल तथा बेसिक चट्टनों के बीच होती है तो उसे मध्यवर्ती आग्नेय चट्टान कहते हैं
(IV) अल्ट्रा बेसिक आग्नेय चट्टान :- जब आग्नेय चट्टान में सिलिका की मात्रा 45 प्रतिशत से कम होती है तो उसे अल्ट्रा बेसिक आग्नेय चट्टान कहते हैं
● इन अवसादी चट्टानों को परतदार चट्टान भी कहते है क्योंकि इनमें अवसाद परतों के रूप में जमा होता है।
● अपक्षय एवं अपरदन के विभिन्न साधनों के द्वारा सतह पर स्थित चट्टानों की टूट फुट से प्राप्त मलबा बहाकर ले जाया जाता है और समुद्री तलों में जमा होता रहता है इस प्रकार अंत में परतदार चट्टान की रचना होती है ।
● परतदार चट्टानों की रचना एक निश्चित क्रम में होती है , सबसे पहले बड़े टुकडे जमा होते है तथा उसके बाद महीन कण जमा होते हैं।
● सिलिका तथा केलसाईट इसके संयोजक तत्व है
● इन चट्टानों का निर्माण चट्टानों के चूर्ण एवं जीवाश्म के एकत्रीकरण से होता है।(III) मध्यवर्ती आग्नेय चट्टान :- जब आग्नेय चट्टान में सिलिका की मात्रा अम्ल तथा बेसिक चट्टनों के बीच होती है तो उसे मध्यवर्ती आग्नेय चट्टान कहते हैं
(IV) अल्ट्रा बेसिक आग्नेय चट्टान :- जब आग्नेय चट्टान में सिलिका की मात्रा 45 प्रतिशत से कम होती है तो उसे अल्ट्रा बेसिक आग्नेय चट्टान कहते हैं
(3) कणों के आधार पर
(I) बड़े कणों वाली आग्नेय चट्टान :- जब मैग्मा धीरे - धीरे ठंडा होता है तो कणों की बनावट बड़ी होती है ।(II) महीन कणों वाली आग्नेय चट्टान :- जब मैग्मा तेजी से ठंडा होता है तो कणों की बनावट छोटी होती है।अवसादी चट्टान किसे कहते हैं :-
(2) अवसादी या परतदार चट्टान
● इन चट्टानों का निर्माण अपरदन के द्वारा प्रवाहित पर्दाथ से होता है।● इन अवसादी चट्टानों को परतदार चट्टान भी कहते है क्योंकि इनमें अवसाद परतों के रूप में जमा होता है।
● अपक्षय एवं अपरदन के विभिन्न साधनों के द्वारा सतह पर स्थित चट्टानों की टूट फुट से प्राप्त मलबा बहाकर ले जाया जाता है और समुद्री तलों में जमा होता रहता है इस प्रकार अंत में परतदार चट्टान की रचना होती है ।
● परतदार चट्टानों की रचना एक निश्चित क्रम में होती है , सबसे पहले बड़े टुकडे जमा होते है तथा उसके बाद महीन कण जमा होते हैं।
● सिलिका तथा केलसाईट इसके संयोजक तत्व है
अवसादी या परतदार चट्टानों की विशेषताएं
● इन चट्टानों में जीवाश्म पाये जाते है।
● इन चट्टानों में परते पाई जाती है।
● ये चटानें भूपृष्ठ के बहुत बड़े भाग में पाई जाती है।
● ये चट्टानें क्षेतिज रूप में पाई जाती है।
● इन चट्टानों में दो परतो के बीच के भाग को संयोजक सतह कहतें हैं।
अवसादी या परतदार चट्टानों का वर्गीकरण
● अवसादी या परतदार चट्टानों को तीन वर्गों में विभाजित किया जाता है -
1. निर्माण में पाये जाने वाले अवसादों के अनुसार
(I) यात्रिक चूर्ण से निर्मित
(अ) बलुआ पत्थर
(ब) कांग्लोमरेट अथवा गालाष्प
(स) चीका मिट्टी
(II) कार्बनिक तत्वों से निर्मित चट्टान
(अ) चूने का पत्थर
(ब) कोयला
(III) रासायनिक तत्वों से निर्मित चट्टान
(अ) खरिया मिट्टी
(ब) शेल खरी
(स) नमक की चट्टान
(IV) परतदार चट्टानों के निर्माण में भाग लेंने वाले साधनों के अनुसार
(अ) जलज बहाव
(ब) सागर में जमा तल छट चट्टान
(स) नदिकृत चट्टान
(2) वायु द्वारा निर्मित चट्टान
(3) हिमानी द्वारा निर्मित चट्टान
(1) रचना सामग्री के आधार पर वर्गीकरण :-
(1) रचना सामग्री के आधार पर वर्गीकरण :-
● परतदार चट्टानों का निर्माण कई प्रकार के चट्टानों के चूर्ण तथा अवसादों से होता है तीन तरह के पदार्थो ( चट्टान चूणे,रायनिक घुलनशील पदार्थ तथा कार्बनिक पदार्थ ) के आधार पर चट्टानों को तीन वर्गो में विभाजित किया जाता है ।
(1) चट्टान चूर्ण से निर्मित
(2) रासायनिक पदार्थों से निर्मित
(3) कार्बनिक तत्वों से निर्मित
● चट्टान चूर्ण से निर्मित परतदार चट्टान का अपक्षय की यांत्रिक क्रियाओं के द्वारा चट्टानों का विघटन तथा वियोजन होता है।
●अपरदन के विभिन साधन जेसे :- नदी जल, हवा , हिमनद सागरीय लहरें आदि इन पदार्थों को एक जगह से ल जाकर दूसरा जगह समुद्र तल में जमा करते हैं जब इन पदार्थों का जमाव सागर, झाल अथवा नंदी में होता है तो विभिन्न परतें बन जाती है।
● इस श्रेणी की चट्टानों में बलुआ पत्थर, काग्लोमरेट, चीका मिट्टी तथा लोयस आदि मुख्य है
● चट्टान चूर्ण से निर्मित परतदार चट्टान का अपक्षय की यांत्रिक क्रियाओं के द्वारा चट्टानों का विघटन तथा वियोजन होता है।
●अपरदन के विभिन साधन जेसे :- नदी जल, हवा , हिमनद सागरीय लहरें आदि इन पदार्थों को एक जगह से ल जाकर दूसरा जगह समुद्र तल में जमा करते हैं जब इन पदार्थों का जमाव सागर, झाल अथवा नंदी में होता है तो विभिन्न परतें बन जाती है।
● इस श्रेणी की चट्टानों में बलुआ पत्थर, काग्लोमरेट, चीका मिट्टी तथा लोयस आदि मुख्य है
(I) बलुआ पत्थर :- बलुआ पत्थर का निर्माण मुख्य रूप से बालू के कणों से होता है । जब बालू के कणों का सगठन संयोजक पदार्थ द्वारा होता है तो बलुआ पत्थर चट्टान का निर्माण होता है बलुआ पत्थर के रंग में पर्याप्त अन्तर पाया जाता है यह लाल, सरफेद या भूरे रंग में पाया जाता है । बलुआ चट्टान पोरस होती है जल आसानी से प्रवेश कर नीचे तक चला जाता है
(II) कांग्लोमरेट : - बालु के साथ गोल आकार के कंकड़ भी मिले रहते है । बड़े-बड़े गोल पत्थर के सम्मिश्रण से चीका मिट्टी द्वारा संयुक्त होने पर ग्रेवल का निर्माण होता है ये ग्रेवल का रूप कांग्लोमरेट बदल जाता है
(III) चूना प्रधान चट्टान :- चूने की चट्टानोँ का निर्माण झील अथवा सागर में जीवों और वनस्पतियों के अवशेष के जमा होने से बनता है जिनमें चुने की प्रधानता होती है । चूने का पत्थर पतली एवं मोटी परतों में पाया जाता है । चूना पत्थर कई रंगों में पाया जाता है खरिया मिट्टी चूना पत्थर की ही एक प्रकार होती है परन्तु यह अधिक पोरस तथा मुलायम होती है ।
(IV) कार्बन प्रधान चट्टान : ये चट्टनें प्रत्यक्ष रूप से वनस्पतिया के अवशेष के जमा होने तथा संगठित होने से बनती है जब वनस्पति का भाग भूगभिक हलचल होने के कारण नीचे चला जाता है उसके ऊपर अवसाद जमा हो जाता है अधिक दबाव और ताप के कारण वनस्पति का रुप बदल जाता है इस
प्रकार की चट्टान कोयला होती है ।
(2) वायु द्वारा निर्मित चट्टान :-
● मरूस्थली प्रदेशों में अपक्षय के कारण चट्टान चूर्ण बनता है और वायु एक स्थान से उड़ाकर दूसरे स्थान जमा करती है लगातार अवसादों के जमाव के बाद भिन्न परतें बन जाती है ।● लोयस का जमाव वायु निर्मित चट्टान का सबसे प्रमुख उदाहरण है।(3) हिमानी द्वारा निर्मित चट्टान : -
● हिमानी अपने अपरदनात्मक कार्य द्वारा चट्टानों के टुकड़ों को अपने साथ परिवहन करके कहीं दूर जमा करते है इस प्रकार हिमानी दवारा जमा किये गये मलर्वे को हिमोद या मोरेन (Moraine) कहतें है।● हिमोढ़ चार प्रकार के होते है : - (अ) पार्श्ववर्ती हिमोढ़
(ब) मध्यवर्ती हिमोढ़
(स) तली हिमोढ़
(द) अंतिम हिमोढ़
(ब) मध्यवर्ती हिमोढ़
(स) तली हिमोढ़
(द) अंतिम हिमोढ़
(3) रूपांतरित चट्टान ( Metamorphic Rocks)
● रुपान्तरित चट्टान अन्य चट्टानों के रूपान्तर के फलस्वरूप निर्मित हुई है।
● रूपान्तरण शब्द "Metamorphose" बर्ड से लिया गया है जिसका अर्थ होता रूप में परिवर्तन (Change in forms)
● आग्नेय चट्टान और परंतदार चट्टान के परिवर्तन के फलस्वरूप रूपान्तरित चट्टान का निर्माण होता है।
● रूपान्तर की क्रिया चट्टानों में अधिक ताप अधिक भार एवं दबाव के कारण आग्नेय तथा परतदार चट्टाने रूपान्तरित हो जाती है अर्थात चट्टान का संगठन (Composition) एवं रूप (form) बदल जाता है । पर चट्टान में किसी प्रकार का विघटन या वियोजन नहीं होता है।
● रुपान्तरण की क्रिया के दोरान चट्टानों का रूप बदलता है यह बदलाव दो रूपों में संभव होता है । भौतिक रूपान्तरण (Physical Metamorphism) तथा रासायनिक रूपान्तरण (Chemical Metamorphism) तथा कभी-कभी ये दोनों रूपान्तरण साथ - साथ कार्य करते हैं।
● परतदार चट्टानों में उपस्थित जीवाश्म रुपान्तरण के कारण नष्ट हो जाते है इस कारण इन चट्टानों में जीवाश्म नहीं पाये जाते है
रूपान्तरण के कारक (Agents of Metamorphism)
(1) ताप (Heat) : चट्टानों के रूपान्तरण के लिये ताप प्रमुख कारक है क्योंकि कई बार पृथ्वी की सतह के नीचे अधिक ताप के कारण मूल चट्टान में बदलाव आ जाता है इससे चट्टान के खनिज रवो के क्रम में पर्याप्त अन्तर आ जाता है रुपान्तर के लिये आवश्यक ताप ज्यालामुखी के उद्रार से तथा आन्तरिक भाग से प्राप्त होता है ।
(2) दमाब या सम्पीडन (compresslon) : जब पर्वंत निर्माण की क्रिया होती है तो भू हलचल के समय चट्टानों में मोड आने लगता है उससे उत्पन्न दबाव के कारण चट्टानो के सगठन एवं रूप में परिवर्तन आ जाता है । इस प्रकार का दबाव खासकर पर्वतीय भागों नें अधिक कार्य करता है ।
(3) घोल (Solution) : कई बार जल के साथ कार्बन डाइआक्साइड तथा आक्सीजन गैस मिलने से जल में रासायनिक क्रियायें होती है जिससे चट्टानों के रासायनिक पदार्थ तथा खनिज जल के साथ घुलकर मिल जाते हैं और चट्टानों में रासायनिक क्रियाओं के कारण सगठन में अन्तर आ जाता है।
रूपान्तरण के प्रकार (type of Motamorphism) :
● रूपान्तरण की क्रिया कभी कभी अलग-अलग कार्य करती है तथा कभी-कभी एक साथ मिलकर कार्य करते हैं ।◆ रूपान्तरण के प्रकार -
(अ) तापीय रूपान्तरण (Ihermal Metamorphism)
(ब) गति के कारण रूपान्तरण (Dynamic Metamorphism)
(स) जलीय रूपान्तरण (Hydro Metamorphism)
(द) ताप जलीय रूपान्तरण (Hydro Thermal Metamorphism)
(1 ) रुपान्तरण के क्षेत्र के अनुसार (Place or Area of Metamorphism)
(अ) संस्पर्शीय रूपान्तरण (Contact Metamorphism)
(ब) क्षेत्रीय रूपान्तरण (Regional Metamorphism)
रूपान्तरित चट्टानों का वगाकरण (CIassiication of Metamorphic roclke)
● रूपान्तरित चट्टानों का वर्गीकरण आसान होता है क्योंकि प्रायः मौलिक चट्टानो के आधार पर रूपान्तरित चट्टानें बनती है ।
● मौलिक चट्टान आग्नेय या परतदार चट्टान हो सकती है।
● मौलिकचट्टान के आधार पर रूपान्तरित चट्टानो को दो वर्गों में विभाजित किया जाता है -
(1) आग्नेय चट्टान से रूपान्तरित चट्टान (Meta Igneous Rocks) : -
● जब आग्नेय चट्टानों का रूपान्तरण होता है तो उसे आग्नेय रूपान्तरित चट्टान कहते है जैसे :- गेनाइट से नीस का निर्माण होता है।● जब रूपान्तरित चट्टान में कण (Crystal) कुछ-कुछ परत के रूप में समानान्तर अवस्था में पाय जीते है तो इस प्रकार की बनावट को फॉलियेशन कहते हैं ।
● इसमें स्लेट , सिस्ट तथा नीस चट्टाने आती है और नान फोलियेट्ड में कार्टजाइट, संगमरमर आदि आती है।
(2) परतदार चट्टानों से रूपान्तरित चट्टान :-
● इन चट्टानों को "Meta Sedimentary" कहते है ।● इसमें परतदार चट्टान चूना पत्थर का संगमरमर ,शेल (shale) स्लेट (slate) में तथा बलुआ पत्थर (Sand stone) कार्टरजाइट (Quartzite) में परिवर्तित हो जाता है। रूपान्तरित चट्टान कहते है ।
(I ) संगमरमर (Marble) :-
● संगमरमर चट्टान की रचना चूना पत्थर के अधिक ताप के कारण परिवर्तन होने से होती है ।
(I ) संगमरमर (Marble) :-
● संगमरमर चट्टान की रचना चूना पत्थर के अधिक ताप के कारण परिवर्तन होने से होती है ।
● दबाव के कारण चूना पत्थर चट्टान अधिक मात्रा में काफी गहराई तक चली जाती है ।
● अत्यधिक ताप के कारण चट्टान में उपस्थित कैल्सियम कार्बोनेट कैलसाइट के कण में बदल जाते है।
● इस प्रकार एक नई चट्टान संगमरमर का निर्माण होता हैं।
(II) स्लेट (Slate) :-
● स्लेट चट्टान का निर्माण शेल तथा अन्य जलज (Argillaceous) परतदार चट्टानों के क्षेत्रीय रूपान्तरण (Regional Metamorphism) के कारण होता है
(III) क्रार्टजाइट (Quartzite) :-
● कार्टजाइट चट्टान का निर्माण प्राय बलुआ पत्थर (Sandstone) के रूपान्तरण के फलस्वरूप होता है।
● स्लेट चट्टान का निर्माण शेल तथा अन्य जलज (Argillaceous) परतदार चट्टानों के क्षेत्रीय रूपान्तरण (Regional Metamorphism) के कारण होता है
(III) क्रार्टजाइट (Quartzite) :-
● कार्टजाइट चट्टान का निर्माण प्राय बलुआ पत्थर (Sandstone) के रूपान्तरण के फलस्वरूप होता है।
● इस चट्टान में सिलिका की मात्रा अधिक होती है कार्टजाइट चट्टान बलुआ पत्थर की तुलना में अधिक कठोर होती है ।
(IV) सिस्ट (Schist) :-
● सिस्ट चट्टान बारीक कणों वाली रूपान्तरित चट्टान होती है इसमें फोलियेशन का विकास बहुत अच्छा होता है ।
(IV) सिस्ट (Schist) :-
● सिस्ट चट्टान बारीक कणों वाली रूपान्तरित चट्टान होती है इसमें फोलियेशन का विकास बहुत अच्छा होता है ।
● सिस्ट चट्टान में पाये जाने वाले खनिज के आधार पर ही इसका नामकरण किया जाता है उदाहरण के लिये जब चट्टान में अभ्रक की मात्रा अधिक होती है तो उसे माइकासिस्ट (Mica Schist) कहते
(V) नीस (Gniess) :-
● नीस एक बड़े करणों वाली (coarse grained) रूपान्तरित चट्टान होती है ।
(V) नीस (Gniess) :-
● नीस एक बड़े करणों वाली (coarse grained) रूपान्तरित चट्टान होती है ।
● नीस का निर्माण कांगलोमरेट (Conglomerate) तथा बड़े कणों वाली ग्रेनाइट चट्टान में रूपान्तरण होने से होता है ।
● नीस का मुख्य खनिज फेल्सपार (feldspar) होता है।
● नीस पर अपक्षय तथा अपरदन का प्रभाव बहुत कम होता है ।
● यह देखा गया है कि चट्टानों का करीब 98% भाग 8 से 10 तत्त्वों से निर्मित है शेष 2% भाग लगभग 90 तत्वों से बना है।
● चट्टानों का अध्ययन करने वाले विज्ञान को Patrology कहते है !
संक्षिप्त रूप में
चट्टान किसे कहते हैं ?
● पृथ्वी की ऊपरी सतह की संरचना अनेक रासायनिक तत्व से खनिज के रूप में हुई है, चट्टान की संरचना एक या एक से अधिक खनिजों से हुई है।● यह देखा गया है कि चट्टानों का करीब 98% भाग 8 से 10 तत्त्वों से निर्मित है शेष 2% भाग लगभग 90 तत्वों से बना है।
● चट्टानों का अध्ययन करने वाले विज्ञान को Patrology कहते है !
चट्टानों का वर्गीकरण
● संरचना व भौतिक रासायनिक गुण तथा खनिजों के सम्मिश्रण के आधार पर चट्टानों को मुख्य रूप से तीन वर्गों में बांटा गया है
(2) अवसादी या परतदार चट्टान ( Sedimentary Rocks)
(3) रूपांतरित चट्टान ( Metamorphic Rocks)
● सबसे पहले पृथ्वी की तरल अवस्था के ऊपरी भाग के मेग्मा के ठंडा होने के कारण आग्नेय चट्टानों का निर्माण हुआ जैसे - : ग्रेनाइट बेसाल्ट चट्टान
● धीरे धीरे अपक्षय एवं अपरदन के विभिन्न कारकों से आग्नेय चट्टानों का अपरदित पदार्थ नदियों आदि द्वारा बहाकर ले जाया गया और अन्यत्र समुद्री तलों जमा होता रहा परिणाम स्वरूप संरचना एवं संगठन के कारण परतदार चट्टानों का निर्माण हुआ । जैसे -: बलुआ पत्थर चुना पत्थर आदि।
● आगे चलकर अधिक दबाव तथा अधिक तापीय प्रभाव के कारण आग्नेय तथा परतदार चट्टानों के रूप में परिवर्तन के कारण तीसरी प्रकार की चट्टाने रूपांतरित या कायांतरित चट्टानों का निर्माण हुआ रूपांतरित चट्टानें जैसे संगमरमर , कार्टजाइट स्लेट आदि
● सबसे पहले पृथ्वी की तरल अवस्था के ऊपरी भाग के मेग्मा के ठंडा होने के कारण आग्नेय चट्टानों का निर्माण हुआ जैसे - : ग्रेनाइट बेसाल्ट चट्टान
● धीरे धीरे अपक्षय एवं अपरदन के विभिन्न कारकों से आग्नेय चट्टानों का अपरदित पदार्थ नदियों आदि द्वारा बहाकर ले जाया गया और अन्यत्र समुद्री तलों जमा होता रहा परिणाम स्वरूप संरचना एवं संगठन के कारण परतदार चट्टानों का निर्माण हुआ । जैसे -: बलुआ पत्थर चुना पत्थर आदि।
● आगे चलकर अधिक दबाव तथा अधिक तापीय प्रभाव के कारण आग्नेय तथा परतदार चट्टानों के रूप में परिवर्तन के कारण तीसरी प्रकार की चट्टाने रूपांतरित या कायांतरित चट्टानों का निर्माण हुआ रूपांतरित चट्टानें जैसे संगमरमर , कार्टजाइट स्लेट आदि
(1) आग्नेय चट्टान -:
● आग्नेय चट्टान की रचना तप्त एवं तरल मैग्मा के ठंडे होने से होती है ।● पृथ्वी प्रारंभिक अवस्था में तरल रूप में थी और इस तरह मेग्मा के ठंडा होकर जमने से ठोस आग्नेय चट्टान का निर्माण हुआ।
● सबसे पहले इसी चट्टान का निर्माण हुआ इस लिये इसे प्राथमिक चट्टान भी कहते हैं।
● आग्नेय चट्टान का निर्माण पृथ्वी के भूगर्भिक इतिहास के हर काल मैं होता रहा है और आज भी होता रहा है।
● ज्वालामुखी से गर्म एवं तरल लव पृथ्वी के अंदर तथा बाहर फेल कर ठोस रूप में जमकर आग्नेय चट्टान का रूप लेता हैं।
आग्नेय चट्टानों का वर्गीकरण
● आग्नेय चट्टानों को 3 तरह से विभाजित किया गया है:-(1) उत्पत्ति की प्रक्रिया के अनुसार
(I) आंतरिक आग्नेय चट्टान
(I) आंतरिक आग्नेय चट्टान
(अ) पातालिये आग्नेय चट्टान
(ब) मध्यवर्ती आग्नेय चट्टान
(II) बहिर्वेधी आग्नेय चट्टान
(अ) विस्फोटक प्रकार आग्नेय चट्टान
(ब) शांत प्रकार आग्नेय चट्टान
(2) रासायनिक संरचना के आधार पर
(I) अम्ल प्रधान आग्नेय चट्टान
(II) बेसिक आग्नेय चट्टान
(III) मध्यवर्ती आग्नेय चट्टान
(IV) अल्ट्रा बेसिक आग्नेय चट्टान
(III) मध्यवर्ती आग्नेय चट्टान
(IV) अल्ट्रा बेसिक आग्नेय चट्टान
(3) कणों के आधार पर
(I) बड़े कणों वाली आग्नेय चट्टान
(II) महीन कणों वाली आग्नेय चट्टान
(2) अवसादी या परतदार चट्टान
● इन अवसादी चट्टानों को परतदार चट्टान भी कहते है क्योंकि इनमें अवसाद परतों के रूप में जमा होता है।
● अपक्षय एवं अपरदन के विभिन्न साधनों के द्वारा सतह पर स्थित चट्टानों की टूट फुट से प्राप्त मलबा बहाकर ले जाया जाता है और समुद्री तलों में जमा होता रहता है इस प्रकार अंत में परतदार चट्टान की रचना होती है।
● परतदार चट्टानों की रचना एक निश्चित क्रम में होती है , सबसे पहले बड़े टुकडे जमा होते है तथा उसके बाद महीन कण जमा होते हैं।
● सिलिका तथा केलसाईट इसके संयोजक तत्व है
अवसादी या परतदार चट्टानों का वर्गीकरण
अवसादी चट्टान के उदाहरण :-
● अवसादी या परतदार चट्टानों को तीन वर्गों में विभाजित किया जाता है -
1. निर्माण में पाये जाने वाले अवसादों के अनुसार
(I) यात्रिक चूर्ण से निर्मित
(अ) बलुआ पत्थर
(ब) कांग्लोमरेट अथवा गालाष्प
(स) चीका मिट्टी
(II) कार्बनिक तत्वों से निर्मित चट्टान
(अ) चूने का पत्थर
(ब) कोयला
(III) रासायनिक तत्वों से निर्मित चट्टान
(अ) खरिया मिट्टी
(ब) शेल खरी
(स) नमक की चट्टान
(IV) परतदार चट्टानों के निर्माण में भाग लेंने वाले साधनों के अनुसार
(अ) जलज बहाव
(ब) सागर में जमा तल छट चट्टान
(स) नदिकृत चट्टान
(2) वायु द्वारा निर्मित चट्टान
(3) हिमानी द्वारा निर्मित चट्टान
(3) रूपांतरित चट्टान ( Metamorphic Rocks)
● रुपान्तरित चट्टान अन्य चट्टानों के रूपान्तर के फलस्वरूप निर्मित हुई है ।
● रूपान्तरण शब्द "Metamorphose" बर्ड से लिया गया है जिसका अर्थ होता रूप में परिवर्तन (Change in forms)
● आग्नेय चट्टान और परंतदार चट्टान के परिवर्तन के फलस्वरूप रूपान्तरित चट्टान का निर्माण होता है
● रूपान्तर की क्रिया चट्टानों में अधिक ताप अधिक भार एवं दबाव के कारण आग्नेय तथा परतदार चट्टाने रूपान्तरित हो जाती है अर्थात चट्टान का संगठन (Composition) एवं रूप (form) बदल जाता है । पर चट्टान में किसी प्रकार का विघटन या वियोजन नहीं होता है।
● रुपान्तरण की क्रिया के दोरान चट्टानों का रूप बदलता है यह बदलाव दो रूपों में संभव होता है । भौतिक रूपान्तरण (Physical Metamorphism) तथा रासायनिक रूपान्तरण (Chemical Metamorphism) तथा कभी-कभी ये दोनों रूपान्तरण साथ - साथ कार्य करते हैं ।
● परतदार चट्टानों में उपस्थित जीवाश्म रुपान्तरण के कारण नष्ट हो जाते है इस कारण इन चट्टानों में जीवाश्म नहीं पाये जाते है
रूपान्तरित चट्टानों का वगाकरण (CIassiication of Metamorphic roclke)
● रूपान्तरित चट्टानों का वर्गीकरण आसान होता है क्योंकि प्रायः मौलिक चट्टानो के आधार पर रूपान्तरित चट्टानें बनती है ।
● मौलिक चट्टान आग्नेय या परतदार चट्टान हो सकती है।
● मौलिकचट्टान के आधार पर रूपान्तरित चट्टानो को दो वर्गों में विभाजित किया जाता है -
(1) आग्नेय चट्टान से रूपान्तरित चट्टान (Meta Igneous Rocks) : -
● जब आग्नेय चट्टानों का रूपान्तरण होता है तो उसे आग्नेय रूपान्तरित चट्टान कहते है जैसे :- गेनाइट से नीस का निर्माण होता है ।● जब रूपान्तरित चट्टान में कण (Crystal) कुछ-कुछ परत के रूप में समानान्तर अवस्था में पाय जीते है तो इस प्रकार की बनावट को फॉलियेशन कहते हैं ।
● इसमें स्लेट , सिस्ट तथा नीस चट्टाने आती है और नान फोलियेट्ड में कार्टजाइट, संगमरमर आदि आती है।
(2) परतदार चट्टानों से रूपान्तरित चट्टान :-
● इन चट्टानों को "Meta Sedimentary" कहते है ।● इसमें परतदार चट्टान चूना पत्थर का संगमरमर ,शेल (shale) स्लेट (slate) में तथा बलुआ पत्थर (Sand stone) कार्टरजाइट (Quartzite) में परिवर्तित हो जाता है। रूपान्तरित चट्टान कहते है ।
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